बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
यह तो निर्विवाद सत्य है कि अमीर खुसरो ने हिन्दी में कविता की रचना मनोरंजन के उद्देश्य से की थी। परन्तु यदि उनकी फारसी भाषा में रचित कृतियों पर दृष्टि डाली जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता हैं कि भारत देश, यहाँ के लोगों, उनकी परम्पराओं व संस्कृति, यहाँ की जलवायु आदि सभी से अगाध प्रेम था। उन्होंने अपनी रचना 'बुह सिपहर' (नौ आसमान) में भारतवर्ष की महिमा और भारत के प्रति अपने प्रेम का बड़ा ही मार्मिक व भावपरक वर्णन किया है। वे कहते हैं कि मेरी दृष्टि में भारत की श्रेष्ठता के दो प्रमुख कारण हैं एक तो यह कि भारत मेरी मातृभूमि है और स्वयं पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने कहा है कि देश-प्रेम ईमान की निशानी है। दूसरा कारण यह है कि यहाँ के शासक मुबारक शाह जैसा दूसरा शासक इस संसार में नहीं है
अस्वाते मुल्क-ए-हिन्द - बहुज्जत के जन्नत अस्त।
हुज्जत हया ब-कायद-ए-अक्ली उस्तवार ॥
वे कहते हैं कि भारत कुर्र-ए-खाकी पर जन्नत-ए-निशान है अर्थात् यह देश संसार में स्वर्ग के समान है। स्वर्ग से आते समय आदम ने भारत में ही उतरने का निर्णय लिया क्योंकि यहाँ की हवा, जलवायु आदि में सभी कुछ स्वर्ग की विशेषताएँ विद्यमान हैं। उन्होंने न केवल भारत की भूमि, जलवायु आदि के प्रति अपना प्रेम प्रकट किया है बल्कि इस देश की ज्ञान-गरिमा, धार्मिक व सांस्कृतिक परम्पराओं की भी प्रशंसा की है। वे कहते हैं कि "यद्यपि रोम और यूनान, दर्शन व ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हैं परन्तु भारत उनसे किसी भी तरह से कम नहीं है। यहाँ का ब्राह्मण अरस्तू उनके कानून की धज्जियाँ उड़ा सकता है।
उसके ज्ञान के समक्ष रोमवासियों, यूनानियों का ज्ञान धूल के समान है। अमीर खुसरो ने भारतीय संगीत की प्रशंसा की है। वे कहते हैं कि यहाँ के गायक के गीत व संगीतज्ञ का संगीत मनुष्यों के हृदयों पर तो क्या पशुओं के भी हृदय पर अपना प्रभाव डालता है। अनेक विदेशी संगीतज्ञ यहाँ बीस वर्षों तक संगीत सीखने का प्रयास करते रहे परन्तु वे सफल नहीं हो सके। इसी प्रकार वे यहाँ की शिक्षा गणित के ज्ञान, कला आदि की भी प्रशंसा करते हैं। वे कहते हैं कि यहाँ का कोना-कोना विद्या और कला का केन्द्र है। दूसरे देश इसके ज्ञान भण्डार से अज्ञात हैं। उन्होंने भारतीयों द्वारा विदेशी भाषाओं को सुगमता से सीख लेने, यहाँ के शतरंज के खेल, गणित के ज्ञान आदि का उल्लेख करते हुए भारत के प्रति अपना प्रेम प्रकट किया है। अतः संक्षेप में कहा जा सकता है कि उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मातृभूमि भारत, यहाँ की भाषा हिन्दी, यहाँ की संस्कृति आदि के प्रति जो श्रद्धांजलियाँ अर्पित की हैं। वस्तुतः वे उनके राष्ट्र-प्रेम की ही द्योतक हैं।
अमीर खुसरो ने अपने काव्य में भारतवर्ष, यहाँ के वातावरण, संस्कृति आदि की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। हिन्दी व हिंदुस्तान के प्रति खुसरो का यह अनुराग उनके मन में भारतीय जन-जीवन के प्रति प्रगाढ़ राग का प्रतिफल है। उनकी हिन्दी रचनाओं में समकालीन लोक परम्परा, रीति-रिवाजों आदि का वर्णन हुआ है। उन्होंने अपनी मुकरियों में विचित्र वेष तथा सिद्धियों से आकृष्ट करने वाले अवधूतों के साथ-साथ लोक-जीवन में व्याप्त राम का वर्णन किया है -
बखत बेबखत मोय बाकी आस रात दिना वह रहवत पास।
मेरे मन को सब करत है काम ए सखि साजन? न सखि राम ॥
इसी प्रकार उन्होंने लोक के चिर जीवन-सहचर लोटा, गगरी, चरखा, सकरकंद, हुक्का चिलम आदि का भी बड़ी आत्मीयता से वर्णन किया है -
चढ़ छाती मो को लचकावत, धोय हाय मोपर चढ़ि धावत।
सरम लगत देखत सब नगरी ए सखि साजन? ना सखि गगरी।
खुसरो भले ही सात मुस्लिम शासकों के दरबारी कवि रहे हों परन्तु उन्होंने लोक-जीवन की ओर से कभी आँखे नहीं फेरी। उन्होंने ग्रामीण रीति-रिवाजों में लड़कियों की विदाई का चित्रण भी अपनी हिन्दी कविता में किया है। 'बाबुल' शीर्षक गीतों में विवाह के पश्चात् ससुराल जाती हुई बेटी का करुण क्रन्दन अभिव्यक्त हुआ है। उनके संवेदनशील मानस में जाड़े से ठिठुरते हुए दीन-हीन लोग घर की देहरी पर लटके हुए पिंजरे में राम-राम रटने वाले तोते, ठठरियों के बल पर महाकाल से लोहा लेने वाले निरीह बुड्ढे, गर्मियों में शरीर का पसीना सुखाने वाले पंखे, तिरस्कार करने पर भी पैर चाटने वाला व रोटी का टुकड़ा पाकर घर की रखवाली करने वाला कुत्ता, काँटे और कीचड़ से रक्षा करते हुए पैर चूमने वाले निष्काम कर्मयोग के प्रतीक जूतों के प्रति पर्याप्तं समादर था। इसलिए ऐसे-ऐसे तुच्छ समझे जाने वाले तत्वों, पदार्थों को भी उन्होंने अपनी कविता में विशिष्ट रूप से अभिव्यक्त किया है।
छठे छमासे मोरे घर आते। आप हिले और मोहि हिलावै।
नाम लेत मेहि आवे संका। ए सखि साजन? ना सखि पंखा ॥
इनके अतिरिक्त उनकी हिन्दी रचनाओं में देहाती जीवन में काम आने वाली जड़ी-बूटियों के नुस्खे, देहातों में दिखाई देने वाले झूलों, बर्रे के छत्तों, चरखा, हुक्का, चिलम आदि का वर्णन हुआ है।
यद्यपि खुसरो ने फारसी भाषा में राजाओं का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन, युद्ध-दृश्यों का चित्रण, प्रेम- निरूपण, देश-प्रेम आदि कां वर्ण्य विषय है परन्तु हिन्दी काव्य में उन्होंने दैनिक जीवन से सम्बन्ध रखने वाली साधारण से साधारण वस्तु को भी अपना वर्ण्य विषय बनाया है तथा उसे विशिष्टता देकर सराहा है। उदाहरण के लिए, पानी जैसी साधारण वस्तु का भी उन्होंने विशिष्ट रूप से वर्णन किया है -
वा बिना मोको चैन न आवै। वो मेरी त्रिसना बुझावै।
है वह सब गुन बारह बानी। ए सखि साजन? ना सखि पानी ॥
इनकी हिन्दी रचनाओं में भावों की प्रधानता है। उन्होंने मुकरियों में समस्त बातें प्रेमी के संबंध में कही हैं। प्रिय की श्रृंगारिक चेष्टाओं का निरूपण करके उसे अन्त में एक नया नाम दे दिया है।
अतः उनकी भाव अभिव्यंजना सरस, स्वाभाविक व सुन्दर है। उनकी हिन्दी रचनाओं में श्रृंगार, करुण, शांत, हास्य, अद्भुत वीभत्स रस के स्रोत फूटते और प्रवाहित होते दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए संयोग श्रृंगार का आश्रय लेते हुए वे कहते हैं -
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
तन मेरो मन पीऊ को, दोऊ भए एक रंग ॥
अमीर खुसरो की हिन्दी रचनाओं में काव्य-मर्मज्ञता, काव्य-कला के साथ-साथ रसोद्रेक के लिए अलंकारों का भी प्रयोग हुआ है। उन्होंने शब्दालंकार व अर्थालंकार दोनों का ही प्रयोग किया है। उदाहरण के लिए भुट्टे को साधु-रूप में दर्शाकर उसका मानवीकरण किया गया है। अतः इन पंक्तियों में मानवीकरण अलंकार है -
सिर पर जटा गले में झोली, किसी गुरु का चेला है।
भर भर झोली घर को धावे, उसका नाम पहेला है।
उनकी हिन्दी रचनाओं में दोहा, चौपाई आदि छन्दों के साथ-साथ उर्दू बहरें भी प्रयुक्त हुई हैं। उन्होंने परिनिष्ठित हिन्दी का प्रयोग किया है। उसमें सबल वर्ण विन्यास है। इन रचनाओं में भावानुकूल शब्दों का चुन-चुन कर प्रयोग हुआ है। उनकी काव्य-भाषा लोकोक्तियों व मुहावरों से सुसज्जित है। उसमें प्रयुक्त मुहावरों में लोहे के चने चबाना, हृदय फटना आदि प्रमुख हैं। उनकी हिन्दी रचनाओं में अभिधा व लक्षणा शब्द शक्तियों का अधिक प्रयोग हुआ है। हिन्दी रचनाओं को उन्होंने पहेली, मुकरी, दो सुखना, . निस्बतें ढकोसला आदि शैलियों का प्रयोग किया है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि उनके काव्य में भाव व कला दोनों का ही मणिकांचन संयोग है।
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।